मेरे प्यारे पंछी
ऐ मेरे प्यारे पंछी!
तुम कितने मासूम नज़र आते हो
कभी तो रहते हो बैठे खामोश
कभी चीं-चीं चूं-चूं शोर मचाते हो
इस खुले नीले आसमां के नीचे
बंद पिंजरे की उम्र भर कैद से
शायद आजा़द होने की आस में
रह-रहकर पंख भी फड़फड़ाते हो
करते हो जब आपस में ठिठोली
कुछ कहते, कुछ सुनते-सुनाते हो
रूठना-मनाना, छेड़कर सताना
अपनी इन प्यार भरी अदाओं से
तुम हृदय मेरा खूब लुभाते हो।
– गीता सरीन
मेरठ कैण्ट (उ.प्र.)

Author: The Voice Of Public
✍️कलम हमारी........???? आवाज आपकी.......
Post Views: 61



