The Voice Of Public

❤️मेरे प्यारे पंछी (कविता)❤️

मेरे प्यारे पंछी
ऐ मेरे प्यारे पंछी!
तुम कितने मासूम नज़र आते हो
कभी तो रहते हो बैठे खामोश
कभी चीं-चीं चूं-चूं शोर मचाते हो
इस खुले नीले आसमां के नीचे
बंद पिंजरे की उम्र भर कैद से
शायद आजा़द होने की आस में
रह-रहकर पंख भी फड़फड़ाते हो
करते हो जब आपस में ठिठोली
कुछ कहते, कुछ सुनते-सुनाते हो
रूठना-मनाना, छेड़कर सताना
अपनी इन प्यार भरी अदाओं से
तुम हृदय मेरा खूब लुभाते हो।

– गीता सरीन
मेरठ कैण्ट (उ.प्र.)

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Author: The Voice Of Public

✍️कलम हमारी........???? आवाज आपकी.......

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